कविता :- माँ और बेटी
कवि :- पवन फरैणिया
मेरा भी दिल करै था इस दुनिया नै देखण का
इस प्यारी सी धरती पै नन्हे कदमा नै टेकण का
क्यूँ कोख के माह तनै फाँसी का फंदा तैयार करा
क्यूँ ना मेरा ऐतबार करा…..बस इतनी बात मैं पूछूँ
सूं……..
मेरा तू
माँ खोट बतादे मैं कै तेरे तै रूसुं सूं…….
हाँ साची बात
बतादे माँ मैं कै तेरे तै रूसुं सूं……
तेरे
आगै-पाछै फिरती तेरे सारे कहण पुगाती माँ
तनै
खाट पै रोटी देकै फेर पाछै तै खाती माँ
कै
तनै ना चाहती माँ…… बस इतनी बात मैं
पूछूँ सूं……..
मेरा तू
माँ खोट बतादे मैं कै तेरे तै रूसुं सूं…….
हाँ साची बात
बतादे माँ मैं कै तेरे तै रूसुं सूं……
बेटी
मारण आळी थाम बहु कड़े तै लाओगी
अपणे
इन लाला नै किसकी गेल्याँ बिहाओगी
और
कितना पाप कमाओगी…… बस इतनी बात मैं
पूछूँ सूं……..
मेरा तू
माँ खोट बतादे मैं कै तेरे तै रूसुं सूं…….
हाँ साची बात
बतादे माँ मैं कै तेरे तै रूसुं सूं……
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